Tuesday, August 31, 2010

मैकशी





जो मै को भुलादे वो मै क्या है
जो दिल को ना जला दे वो मै क्या है
जो हलक से उतर गयी  एक बार
पूछोगे ए यार तुम के तू क्या है
            





 पैमाने से मै को पीनेवाले हजार हुए
  मै से महफील सजानेवाले हजार हुए
  जो मीना के आँखों से पीकर नहीं होते बेहोश                                                 
  तो उसने नहीं जाना की ये मै क्या है
जब मै साथ हो तो वक्त बेवक्त नहीं होता
रात का नहीं होता इन्तजार दिन का डर नहीं होता
नशा गम से नहीं होता ज्यादा ख़ुशी से कम नहीं होता
जो नशे में फर्क जताए वो मै क्या है
                           जहाँ में मै कभी महफील बसाती है
                           तो मै मै को बेखुद कर जाती है
                           जो खानाबदोश होते है मैखाने से
                          मै से मै ना रहे वो शख्स ही क्या है
पर इस मै को भी समझाओ
की महबूब क्या होता है
मै के बूँद से है नशा तो
महबूब की हर अदा से होता है
जो माशूक को भुलादे वो मै क्या है
उस मै से क्या मतलब हमें 
जो न समझे के ये इश्क क्या है


जयदीप भोगले
१३-०१-२००३

No comments:

Post a Comment

31 डिसेम्बर

  31 डिसेंबर मला भारी अजब वाटते  कधी मागच्या वर्षाचा कॅलिडोस्कोप   तर कधी नवीन वर्षाची दुर्बीण वाटते तिला पहिल्या भेटीची भाषा कळते नव्या काम...