Thursday, December 2, 2010

रौशनी भरा अहसास

दिखाई दे न सही पर आँखों मै है ये किरने
आँखों मै रौशनी न सही पर दस्तक देती है ये किरने
सुना है लोगों से उजाला नहीं होता अंधों की दुनिया में
पर इस दुनिया का अहसास दिलाती है ये किरने
             बिजली चमकती है आसमान में लोग ये कहते है
             पर उसकी दमक से धड़क सा जाता है दिल में
मधुर झंकार सुनते है ये झरने
पर पानी भरा एक स्पर्श छु जाती है ये किरने    
        कवी कहते है हरी ये धरती खुला ये जहाँ
          पर एक अंधे के नसीब में ये सब कहाँ
          पर जब ऐसा कभी पुकारा इस दिलने
सीमेंट के जंगलो से कारखानों के धुंए से
मुडके आखों में समां जाती है ये किरने
   सुना है भगवान् बड़े सुंदर दिखते है
पर हर इंसान में नहीं अब मंदिरों में बसते है
धर्म से अंधे लोगों की लड़ाई एक अंधे को दिखा जाती है ये किरने
अब सोचो नहीं समझो ये किरने है एक सच्चा मन
जो अभी तक जिन्दा है एक अंधे के मन में
दुनिया में तो लोग रास्ता भटक जाते है
पर जीवन का सही पथ बताती है ये किरने
जब चारो ओर अँधेरा है संसार में
खुश है एक अँधा सबसे इस जहाँ में
लोग  देखके पछताते है यहाँ पर
सुनहरे ख्वाब दिखाती है ये किरने
जो एक अँधा समझ सकता है वाही दिखाती है ये किरने

जयदीप
४-८-१९९९

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