Tuesday, October 29, 2019

दर्यादिली



रफ्तार की दहलीज पे हवा ने  कहा
ठहर जाने पे भी मिलता है ये जहाँ
खामोश लब्जो से भी कही जाती है कहानी
जलजले मे   सोच डुबाने की  महारथ  कहां

आंधियो का वजुद बस कुछ पलो का  होता है
दर्यादिली  के ठहराव की उनको सोहबत कहा
तबाही और खोफ  मिटा सकते है लेकिन
साहिल  का साथ निभाने की उसमे कुरबत कहां

जयदीप भोगले
29 ऑक्टोबर 2019

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