रफ्तार की दहलीज पे हवा ने कहा
ठहर जाने पे भी मिलता है ये जहाँ
खामोश लब्जो से भी कही जाती है कहानी
जलजले मे सोच डुबाने की महारथ कहां
आंधियो का वजुद बस कुछ पलो का होता है
दर्यादिली के ठहराव की उनको सोहबत कहा
तबाही और खोफ मिटा सकते है लेकिन
साहिल का साथ निभाने की उसमे कुरबत कहां
जयदीप भोगले
29 ऑक्टोबर 2019