मंजिल बदल जाती है
तो रास्ते बनाये जाते है
इंसान वही होता है
किरदार सजाये जाते है
वक्त नही रहता कही टिककर
तभी शक्स आजमाये जाते है
अपनी तिशनगी को काबू मे रख
सेहरा मे मिराज भटकाया करते है
जयदीप
29 ऑगस्ट 2021
मंजिल बदल जाती है
तो रास्ते बनाये जाते है
इंसान वही होता है
किरदार सजाये जाते है
वक्त नही रहता कही टिककर
तभी शक्स आजमाये जाते है
अपनी तिशनगी को काबू मे रख
सेहरा मे मिराज भटकाया करते है
जयदीप
29 ऑगस्ट 2021
ज्याचे त्याचे एव्हरेस्ट एव्हरेस्ट अस शिखर एकच नसतं प्रत्येक माणसाचं एव्हरेस्ट वेगळं असतं उंची कमी जास्त असेल समाजात शिखराची पण सर केल्यावरच...