Wednesday, January 12, 2011

इंतज़ार और तूफ़ान

जब  तूफ़ान  में  किसीका  इंतज़ार  होता  है 
तो  एक  पैगाम  भी  साहिल  बन  जाता  है 
ना  सफ़र  पता  है  ना  मंजील 
बस  पैगाम  का  सहारा  ही  नाव  का  किनारा  बन  जाता  है 

एक  तिनका  भी  किसी  के  प्यार  का 
       इंतज़ार  में  कश्ती  बन  जाता  है 
उसीसे  आती  है  तूफ़ान  से  लड़ने  की  उमीदे 
लहरों  का  सामना  भी  उसीसे  आसान  हो  जाता  है 


एक   नजर  के  खातिर  मीलो  पार  हो  जाते  है 
      जब  उनकी  आखों  में  प्यार  का  इकरार  नजर  आता  है 
      एक  ख़त  के  भरोसे  कट  सकती  है  जिंदगी 
      एक  ख़याल  मुलाक़ात  का  उनका  दामन  बन  जाता  है 

जब  कोई  ख़त  के  लिए  तड़पता  है 
उसके  जिंदगी  का  लम्हा  भी  तूफ़ान  बन  जाता  है 
इंतज़ार  होता  है  एक  लब्ज़  का 
उसका  ना  होना  क़यामत  बन  जाता  है 


जयदीप भोगले
२००५


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