वादा है अपने आप से एक वादा ना तोडना है
झूठा ही सही दिल से एक वादा जरूर करना है
चेहरे की कसक से खींच गए हम एक भंवर में
भीगा ही सही बहाव को एक साहिल से अब जोड़ना है
पत्थर और फूल को एक तराजू में तोलने का गजब हम से हो गया
शीशे को आईने में बदलेंगे ऐसा सबब कुछ करना है
अब वादा एक सच है या इस ख्वाब को तोड़ देना है
रगों में बहता है जो खून उसी को बस एक शायरी में बदलना है
जयदीप भोगले
१०/०२/२०११
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