Friday, February 11, 2011

वादा


वादा है अपने आप से एक वादा ना तोडना है
झूठा ही सही दिल से एक वादा जरूर करना है

चेहरे की कसक से खींच गए हम एक भंवर में 
भीगा ही सही बहाव को एक साहिल से अब जोड़ना है

पत्थर और फूल को एक तराजू में तोलने का गजब हम से हो गया
शीशे को आईने में बदलेंगे ऐसा सबब कुछ करना है

अब वादा एक सच है या इस ख्वाब को तोड़ देना है
रगों में बहता है जो खून उसी को बस एक शायरी में बदलना है

जयदीप भोगले
१०/०२/२०११ 

No comments:

Post a Comment

31 डिसेम्बर

  31 डिसेंबर मला भारी अजब वाटते  कधी मागच्या वर्षाचा कॅलिडोस्कोप   तर कधी नवीन वर्षाची दुर्बीण वाटते तिला पहिल्या भेटीची भाषा कळते नव्या काम...