Saturday, August 21, 2010

नतीजा

जब दिल धडकता है तो
जिंदा होने कि परवाह नाही होती
जब प्यार हो जाता है तो
नतीजे से जिंदगी बेजार नहीं होती
अगर नाव समुंदर में हो तो
भंवर कभी राह नहीं रोकता
अगर समेट  भी लिया तो प्यार में तकरार नहीं होती
जब राह ही फूलों की चुनी है
तो काँटों की चुभन से कराह नहीं उठती
अगर चुभ  भी गए तो लहूँ से जमीन सफ़ेद नहीं होती
अब नतीजा हां हो या ना हो
प्यार की कोई सीमा नहीं होती
अगर जीए तो प्यार में जीए
मर गए तो प्यार में शहीद हुए
आशिक की कभी हार नहीं होती
जयदीप भोगले
२४ -०६- २००३ 

No comments:

Post a Comment

31 डिसेम्बर

  31 डिसेंबर मला भारी अजब वाटते  कधी मागच्या वर्षाचा कॅलिडोस्कोप   तर कधी नवीन वर्षाची दुर्बीण वाटते तिला पहिल्या भेटीची भाषा कळते नव्या काम...