Wednesday, September 1, 2010

धड़कन



एक कश्ती सागर में अकेली चलती है
जैसे झील के उस पार हवा चलती है
जैसे मन में एक कल्पना बसती है
उसी तरह तुम्हारी धड़कन मेरे दिल में धडकती है
                    जैसे एक चिंगारी बारूद में जलती है
                    जैसे एक लौ अँधेरे में उजलती है
                    जैसे एक निगाह लाखों में उभरती है
                     उसी तरह तुम्हारी धड़कन मेरे दिल में धडकती है
एक सांस से जिन्दगी पनपती है
एक आवाज ख़ामोशी में चहकती है
जैसे हरियाली मानो रेगिस्तान में दहकती है
उसी तरह तुम्हारी धड़कन मेरे दिल में धडकती है




जयदीप भोगले
२७-१२-२००४





No comments:

Post a Comment

31 डिसेम्बर

  31 डिसेंबर मला भारी अजब वाटते  कधी मागच्या वर्षाचा कॅलिडोस्कोप   तर कधी नवीन वर्षाची दुर्बीण वाटते तिला पहिल्या भेटीची भाषा कळते नव्या काम...