कोई साया अलग होता है
कुछ धूप से बिखर जाते है
मगर कोई सच्ची तसबीर होता है
फूलों के इस शहर में
कोई गुल अलग होता है
किसी की छुहन भी चुभती है
मगर किसी के कांटो से भी मीठा दर्द होता है
नजरों के इस कमान में
कोई तीर अलग होता हैकोई टकराके टूट जाते है
मगर कोई दिल चीर देता है
अब किसको क्या बताये
कब कारवाँ में कोई अकेला होता है
कोई जिन्दगी के साथ ख़त्म होता है
मगर किसी के साथ एक पल भी जिन्दगी होता है
जयदीप भोगले
२९-०४-०५
No comments:
Post a Comment