एक रुकी हुई जिंदगी
जब समय पे सवार होती है
एक साहिल पे पड़े पत्थर में
लहरों से दरार होती है
कोयले की खदान में
जैसे हीरे से निखार होती है
उसी तरह किसी गुलाबी हलचल के आने से
जिन्दगी में बहार होती है
एक सहमे हुए सच से
जैसे झूठ की हार होती है
एक दबी हुई आवाज से
कभी ख़ामोशी बेजार होती है
एक झुकी हुई नजर में भी
तलवार की धार होती है
उसी तरह किसी गुलाबी हलचल के आने से
जिन्दगी में बहार होती है
एक गर्म सांस से
ठण्ड में भी जलन होती है
एक मीठे अहसास से भी
कड़वाहट में मार होती है
एक सुहानी याद से भी
जिन्दगी की कहानी बन जाती है
उसी तरह किसी गुलाबी हलचल के आने से
जिन्दगी में बहार होती है
जयदीप भोगले
१४/०४/०५
No comments:
Post a Comment