Wednesday, September 15, 2010

आशा की किरन

ए दिल तू बता तू क्यों  उदास है
अश्क तेरे पास है फिर तुझे क्यों प्यास है
क्यों है मन में शोर
जब चारो और सन्नाटा है
जब आग ही लगी है दिल में
तो चिरागों की रौशनी की आस है
जब बह रहा है खून तो
हाल ए दिल सुनाने को कलम की क्यों तलाश है
ना ढूंढ़ तू दवा जब दर्द तेरे पास है
कलेजे का टुकड़ा चला गया
तो क्यों उठी घाव से वह कराह?
अरे ये महज एक खराश है !
बेवफाई से हुआ तू घायल
तो वफ़ा की क्यों फरमाइश है?
पत्थर की कियी थी आजमाइश तुने
तो पत्थरदिल से यह कैसी कशिश है ?
मीठे जहर से हुआ था बेहोश
इसलिए मुझे अफ़सोस है
देख जिंदगी को ख़ुशी से
तो चमन ए जन्नत तेरे साथ है
नाही तो सब वीरान और ख़ाक है

जयदीप भोगले
२६ -०२-९९

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